ऐसा मन में आइयो रे, दुक्ख सुक्ख सभ वंञाययो रे ।
हार शिंगार को आग लगाऊं, तन पर ढांड मचाययो रे ।
सुन के ज्ञान कियां ऐसी बातां, नाम-निशान तभी अलघातां,
कोइल वांङ मैं कूकां रातां, तैं अजे भी तरस ना आइउ रे ।
गल मिरगानी सीस खप्परियां, दरशन की भीख मंगन चढ़आ,
जोगन नाम बूहलत धरिआ, अंग बिभूत रमायउ रे ।
इश्क मुल्लां ने बांग सुणाई, इह गल्ल वाजब आई,
कर कर सिदक सिजदे वल धाई, मूंह महराब टिकाययो रे ।
प्रेम नगर वाले उलटे चाले, मैं मोई भर खुशियां नाले,
आन फसी आपे विच जाले, हस्स हस्स आप कुहाययो रे ।
बुल्ल्हा शौह संग प्रीत लगाई, जिय जामे दी दित्ती साई,
मुरशद शाह अनायत साईं, जिस दिल मेरा भरमाययो रे ।