बापू की विदा
आज बापू की विदा है! अब तुम्हारी संगिनी यमुना,त्रिवेणी,नर्मदा है! तुम समाए प्राण में पर प्राण तुमको रख न पाए तुम सदा संगी रहे पर हम तुम्हीं को छोड़ आए यह हमारे पाप का विष ही हमारे उर भिदा है! आज बापू की विदा है! सो गए तुम किंतु तुमने जागरण का युग दिया है व्रत किए तुमने बहुत अब मौन का चिर-व्रत लिया है! अब तुम्हारे नाम का ही प्राण में बल सर्वदा है! आज बापू की विदा है!

Read Next