करुणा का गहरा गुंजार
करुणा का गहरा गुंजार। जिसमें गर्वित विश्व पिघल कर बनता है आँसू की धार॥ विश्व-साँस का नव निर्झर प्रिय, मधु-प्रिय कोकिल का मधु-स्वर प्रिय; मेरे जीवन के मधुवन में यह है मधुकण का श्रृंगार॥ सावन-शिशु घन-अंकित अम्बर, रिमझिम रिमझिम है पुलकित स्वर; कितने प्राणों के स्वाती में यह मोती-सा उज्ज्वल प्यार॥ करुणा का गहरा गुंजार।

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