तुम्हें आज पहिचान गया
तुम्हें आज पहिचान गया। मेरे दुख का समय आज जब-- सुख के समय समान गया॥ वर्षा के नव श्यामल तन में, छवि थी इन्द्रधनुष के घन में, चपला की चंचल चितवन से-- द्युति थी उस घुँघराले घन में। इस सुख के केवल दो क्षण में, मेरा सारा ज्ञान गया। तुम्हें आज पहिचान गया॥

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