गाओ मधु प्रिय गान
गाओ मधु प्रिय गान! सुनने को यह नभ नीरव है गाओ मधु प्रिय गान॥ नव तरु ने अपना हृदय आज पल्लव-पल्लव कर दिया आह! जिससे वह छू ले एक बार सु-मधुर सु-राग का सु-प्रवाह; यह अनिल बना है अंग-हीन छिपकर छूने की हुई चाह, करने को नव छवि प्रतिबिम्बित यह सरिता है उज्ज्वल अथाह; मेरे जीवन के शतदल में भर दो सुरभि महान॥ गाओ मधु प्रिय गान!

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