यह कैसा आया बादल
यह कैसा आया बादल! लघु उर में गूँजा करती है एक वेदना बहुत विकल॥ नभ के इस विशाल जीवन में आँसू का छोटा-सा छल। चंचल होने पर भी उसकी भाग्य-रेख इतनी उज्ज्वल!! मेरा भी इतना लघु उर है किन्तु वेदना है अविचल। क्या उसमें अन्तर्हित है करुणा की बूँदों का कुछ जल?

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