शतदल, सजल सहास
शतदल सजल सहास! सलिल के सुखद स्वप्न साकार; अमिट, विकसित, सस्मित सुकुमार, विश्व के विहँसित पुलकित प्यार; तरंगित तन के कितने पास! शतदल सजल सहास! जगत के हे अभिनव आभास; सुरभि है अविरत जीवित साँस, रुचिर छवि है, यौवन है पास; और है जीवन का उल्लास॥ शतदल सजल सहास! कौन हो तुम ज्योतित आकार! पवन करता रहता परिचार, सलिल लहरों के हाथ पसार; माँगता है चिर मिलन-विलास॥ शतदल सजल सहास!

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