यह तुम्हारा हास आया
यह तुम्हारा हास आया। इन फटे-से बादलों में कौन-सा मधुमास आया? यह तुम्हारा हास आया। आँख से नीरव व्यथा के दो बड़े आँसू बहे हैं, सिसकियों में वेदना के व्यूह ये कैसे रहे हैं! एक उज्ज्वल तीर-सा रवि-रश्मि का उल्लास आया॥ यह तुम्हारा हास आया। आह, वह कोकिल न जाने क्यों हृदय को चीर रोई, एक प्रतिध्वनि-सी हृदय में क्षीण हो हो हाय, सोई। किन्तु इससे आज मैं कितने तुम्हारे पास आया! यह तुम्हारा हास आया।

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