आज प्रथम गाई पिक पंचम
आज प्रथम गाई पिक पंचम। गूंजा है मरु विपिन मनोरम। मस्त प्रवाह, कुसुम तरु फूले, बौर-बौर पर भौंरे झूले, पात-गात के प्रमुदित झूले, छाई सुरभि चतुर्दिक उत्तम। आँखों से बरसे ज्योतिःकण, परसे उन्मन-उन्मन उपवन, खुला धरा का पराकृष्ट तन, फूटा ज्ञान गीतमय सत्तम। प्रथम वर्ष की पांख खुली है, शाख-शाख किसलयों तुली है, एक और माधुरी घुली है, गीत-गन्ध-रस वर्णों अनुपम।

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