काला दिल
चितवन क्या तो भोली भाली। पड़ा कलेजे में जो छाला। आँखों से तो क्या रस बरसा। पीना पड़ा अगर विष प्याला।1। आग सी लगाते हैं जी में। जब थोड़ा आगे हैं बढ़ते। होठ क्या रँगें लाल रंग में। बोल बड़े कड़वे हैं कढ़ते।2। लगा कहाँ तब रस का चसका। जब नीरस बातें कहती है। जीभ किसी की तब क्या सँभली। जब काँटा बोती रहती है।3। हँसी उस हँसी को न कहेंगे। लगी गले में जिस से फाँसी। मीठी बात रही क्या मीठी। चुभी कलेजे में जो गाँसी।4। अंधकार का जो है पुतला। उसमें कैसे मिले उँजाला। गोरे मुखड़े से क्या होगा। अगर किसी का दिल है काला।5।

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