ताड़ झाड़
बे तुके किस तरह कहाएँगे। बे तुकी जो नहीं सुनाएँगे।1। तो कहे जाएँगे जले तन क्यों। आग घर में न जो लगाएँगे।2। है बढ़ाना समाज को आगे। पाँव पीछे न क्यों हटाएँगे।3। हैं बड़े, नाम है बड़प्पन में। लाल अपने न क्यों लुटाएँगे।4। बीर हैं, आँख में लहू उतरे। क्यों न सगे का लहू बहाएँगे।5। हैं दुखी, हो गयी जलन दूनी। लड़कियों को न क्यों जलाएँगे।6। जब बड़े आन बान वाले हैं। अनबनों को न क्यों बढ़ाएँगे।7। लीडरी किस तरह सकेगी बच। फूट की जड़ न जो जमाएँगे।8। देस को पार जब लगाना है। जाति को क्यों न तो डुबाएँगे।9। क्यों मिलेगा स्वराज, सब हिन्दू। जो न नाकों चने चबाएँगे।10।

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