अपने दुखड़े - 1
बात अपनी किसे बताएँगे। हाल घर का किसे सुनाएँगे।1। जो सके सुन न आप दुख मेरा। क्यों कलेजा निकाल पाएँगे।2। जब कि हम आँख देख लेवेंगे। लोग आँखें न क्यों दिखाएँगे।3। जब गयी आँख तब नहीं क्यों हम। आँख की पुतलियाँ गँवाएँगे।4। बे तरह जब कि आज हैं बिगड़े। तब बड़ों को न क्यों बनाएँगे।5। काटना कान है सपूतों का। नाक अपनी न क्यों कटाएँगे।6। पड़ गयी मार, पर मिले टुकड़े। पूँछ कैसे नहीं हिलाएँगे।7। क्यों दिखाएँगे नीच को नीचा। आँख ऊँची अगर उठाएँगे।8। हैं अगर बे हिसाब मुँह बाते। किस तरह तो न मुँह की खाएँगे।9। जाति को तो जिला नहीं सकते। जान पर खेल जो न जाएँगे।10।

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