मुँह काला
भरी नटखटी रग रग में है। एक एक रोआँ है ऐंठा। उस के जी में सब पाजीपन। पाँव तोड़ कर के है बैठा।1। वह कमीनपन का पुतला है। ढीठ, ऊधमी बैठा ठाला। झूठा, नीच, कान का पतला। बड़ा निघरघट मद मतवाला।2। छली छिछोरा जी का ओछा। कुन्दा है बे छीला छाला। छिछला बरतन घड़ा अधभरा। अंधा है हो आँखों वाला।3। है छटाँक पर मन बनता है। कितनी आँखों का है काँटा। रँगा सियार काठ का उल्लू। छँटे हुए लोगों में छाँटा।4। सधा उचक्का पक्का ढोंगी। काला साँप जहर का प्याला। किस के हित का काल नहीं है। काले दिन वाला मुँह काला।5।

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