खिली कली
किसलिए आई दुनिया में। बला जो टली नहीं टाले। दुखों से गला जो न छूटा। सुखों के पडे रहे लाले।1। किसलिए दिखलाई रंगत। रंग जो सदा न रह पाया। धूल में जो मिल जाना था। फूल कर तो क्या फल पाया।2। गोद में हरी डालियों की। बैठ कर के क्या तू बहँकी। पड़ा जो कीड़ों से पाला। किसलिए तो मह मह महँकी।3। प्यार दिखला के भौंरों से। किसलिए जोड़ी हित कड़ियाँ। दो दिनों में ही जब बिखरीं। फबीली तेरी पंखड़ियाँ।4। आँसुओं की ए बूँदें हैं। ओस कह ले इनको कोई। खिली तब क्यों जब कुम्हलाई। हँसी तब क्यों जब तू रोई।5।

Read Next