चेतावनी
है समझ आज घर बसा न रही। राह पर है हमें लगा न रही।1। जागते क्यों नहीं जगाने से। जाति क्या है हमें जगा न रही।2। तब भला क्यों हवा न हो जाते। जब हमारी बँधी हवा न रही।3। बे तरह हो रहे दुखी क्यों हैं। क्या दुखों की कोई दवा न रही।4। रंगतें यों बिगाड़ कर मेरी। रंग लाती कभी बला न रही।5। जाय वह हार क्यों गले का बन। कब भला काहिली ववा न रही।6। बेबसी बे तरह फँसा कर के। यों कभी फाँसती गला न रही।7। क्यों लहू पर है पड़ गया पाला। चाट क्या चोट है चला न रही।8। बेहयापन पसन्द क्यों आया। किसलिए आँख में हया न रही।9। कब तलक यों फटे रहेंगे हम। क्या गला फूट है दबा न रही।10।

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