पार है
बीन में तेरी भरी झनकार है। बज रहा मेरी रगों का तार है।1। यों भवें क्यों हैं नचाई जा रहीं। आज किस पर चल रही तलवार है।2। जायगी मेरी खबर उन तक पहुँच। लग गया अब आँसुओं का तार है।3। फूल मुँह से किसलिए झड़ते नहीं। वह बना मेरे गले का हार है।4। किस तरह वे आँख भर तब देखते। आँख जब होती नहीं दो चार है।5। वह लगाता है किसी से आँख क्यों। आँख में जिसका कि बसता प्यार है।6। था बरस पड़ना बरस पड़ते न क्यों। बेतरह क्यों हो रही बौछार है।7। लड़ गईं आँखें बला से लड़ गईं। दो दिलों में क्यों मची तकरार है।8। आँख में घर कर रहे हो तो करो। क्यों हमारा लुट रहा घर बार है।9। मतलबों के रंग में सब है रँगे। कौन किसका दोस्त किसका यार है।10। पार तूने है नहीं किसको किया। क्यों हुआ मेरा न बेड़ा पार है।11। वह बिचारी हैट से कब तक भिड़े। छोड़ कर सिर को भगी दस्तार है।12। किसलिए बेकार तब कोई रहे। इन दिनों जब कार की भरमार है।13। टाट वह कैसे उलट देता नहीं। है टके का, जो टके का यार है।14।

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