मातम
बनों में जिस से रही बहार। बाग का जो था सुन्दर साज। मसल क्यों उस को देवे पाँव। सजे थे जिससे सर के ताज।1। बनी जिस से अलबेली बेलि। फबन जिससे पाते थे रूख। धूल में उसको मिलता देख। सकेगा कैसे आँसू सूख।2। महँक से जो लेता था मोह। तर हुई जिसको देखे आँख। न लेगा कौन कलेजा थाम। देख कर उड़ती उसकी राख।3। चूमता था जिसको कर प्यार। भाँवरें भर भर करके भौंर। उठे उस पर क्यों उसका हाथ। कहाता है जो जग सिर मौर।4। राह में देवें उन्हें न डाल। न जी से देवें उन्हें उतार। भरी थी जिन से कितनी गोद। बने जो किसी गले का हार।5। किया था जिसको जी से प्यार। दिया क्यों उसे बला में डाल। बना किसलिए काल का कौर। रहा जो किसी कोख का लाल।6। दिया क्यों उसे धूल पर फेंक। बने क्यों उससे बे परवाह। खिंचे थे जिसकी रंगत देख। कभी थी जिसकी चित में चाह।7। न उनकी पंखुड़ियाँ लें नोच। उन्हें दे गलियों में न बखेर। नहीं जिनकी छवि पाते भूल। सके हम आँख न जिनसे फेर।8। कम न उनका कर देवें मोल। किसलिए उन्हें करें पामाल। मेलियों से करते हैं मेल। गले में जिन का गजरा डाल।9। कलेजे जिस से खाएँ चोट। किसी से हो क्यों ऐसी भूल। किसलिए नुचे बने बद रंग। हाथ में आया कोई फूल।10।

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