नोक झोंक
न मेरी बात सुनते हैं न अपनी वे सुनाते हैं। न जाने चाहते क्या हैं। न जाने क्यों सताते हैं।1। कलेजा जल गया तो जाय। जले पर क्यों जले आँसू। न जाने किसलिए वे आग। पानी में लगाते हैं।2। अगर मुँह है बिगड़ता, बात। तो कैसे न बिगड़ेगी। बने तब बात क्यों जब। बेतरह बातें बनाते हैं।3। किसी भी काम की तो हैं। नहीं रंगीनियाँ उनकी। न रख कर रंग औरों का। अगर वे रंग लाते हैं।4। बदलते हम नहीं उनका। बदलना आँख का देखो। हमारी आँख में रह वे। हमें आँखें दिखाते हैं।5। बता यह भेद कोई दे। समझ हम तो नहीं पाते। वे कैसे आँख के ही। सामने आँखें चुराते हैं।6। खुलीं आँखें नहीं खोले। मगर खुलकर कहेंगे हम। तुम्हारी राह में आँखें। हमीं अपनी बिछाते हैं।7। बता दें बात यह हमको। बड़े वे आँख वाले हैं। छिपाते आँख हैं तो आँख। में कैसे समाते हैं।8। गया जी जल तो आँखों से। न क्यों चिनगारियाँ निकलें। लगाते आग हैं तो। किसलिए आँखें लगाते हैं।9। खटकते आँख में हैं आँख। के काँटे बने हैं हम। मिलाएँ किस तरह से आँख। वे आँखें बचाते हैं।10।

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