प्यार के लिए प्यार
रो रहा है बहा बहा आँसू। या कि है वह पिरो रहा मोती। हित नहीं सूझता उसे अपना। प्यार को आँख क्या नहीं होती?।1। वे लगाये लगन लगी कैसे। क्यों लहू घूँट लोग पीते हैं। आँख जिस की कभी न उठ पाई। क्यों उसे देख देख जीते हैं।2। साँसतें अब सही नहीं जातीं। किस तरह बार बार दुख झेलें। हम बहुत तंग आ गये इससे। किस तरह दिल बदल किसी से लें।3। रात में चैन है नहीं आता। साँसतें क्या कभी नहीं सोतीं। चोट पर चोट हैं अगर खाती। क्यों नहीं चूर चाहतें होतीं।4। काठ है और है न पत्थर वह। मास ही है उसे कहा जाता। आँच कुछ प्यार में अगर होती। तो कलेजा न क्यों पिघल पाता।5। दिल अगर हाल जानता दिल का। बेदिली आँख क्यों दिखाती तो। वे हमें चाहते अगर होते। चाह कैसे कुएँ झ्रकाती तो।6। कर सके क्या उतर गया पानी। गाँठ जी की खुली नहीं खोले। हो बड़े मोल के मगर आँसू। मोतियों से गये नहीं तोले।7। मतलबों के न देखते सपने। मौज के बीज जो न मन बोता। बे तरह चाहतें सतातीं क्यों। प्यार जो प्यार के लिए होता।8।

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