मनमाना
कभी है नया जाल बिछता। कभी फंदे हैं पड़ जाते। कभी कोई कमान खिंचती। तीर पर तीर कभी खाते।1। मोहनी कभी मोहती है। कभी मनमोल लिया जाता। कभी मोती जैसा आँसू। पत्थरों को है पिघलाता।2। कभी कुछ टोना होता है। कभी जादू चल जाता है। कभी छू मन्तर के बल से। छलावा छल कहलाता है।3। चोचले कर कर 'चालाकी'। बे तरह नाच नचाती है। 'मचल' कितनी ही चालें चल। न किस को चित कर पाती है।4। चौकड़ी क्यों न भूल जाती। क्यों न पड़ता धोखा खाना। न कैसे लुट जाता कोई। न कैसे होता मनमाना।5।

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