दिल के फफोले - 2
फूल प्यारे हमने तोड़े। या फफोले दिल के फोड़े। या कि फूटे आईने के। जमा कर हैं टुकड़े जोड़े।1। कहें किससे अपने दुखड़े। सुनेंगे क्या, वे, जो उखड़े। नहीं किसको दुख देते हैं। बहुत चिकने चुपड़े मुखड़े।2। चाँद के टुकड़े होते हैं। दुखों के बहते सोते हैं। किसलिए बतला दे कोई। फूट कर बादल रोते हैं।3। सितारे चमकीले प्यारे। नगीने कोई हैं न्यारे। फूल हैं बिखरे या ये हैं। किसी की आँखों के तारे।4। सोचते हैं क्या मन मारे। रंग दिखलाते हैं न्यारे। राह किसकी हैं देख रहे। अँधेरी रातों के तारे।5। मचल जाता है मन मेरा। देख करके मुखड़ा तेरा। छिन गयी मेरी आँखों को। न तेरी आँखों ने फेरा।6। न फल, पत्तों में से छाँटे। गये हैं फूल नहीं बाँटे। ऐ हवा पगली यह बतला। बखेरे, तूने क्यों काँटे।7। लुभा आँखें क्यों हिलते हो। तो महकते क्यों मिलते हो। खिलाई जो न कली जी की। फूल तो क्या तुम खिलते हो।8। न तारों से कुछ है कहता। साँसतें हैं कितनी सहता। न जाने किस चाहत में पड़। चाँद चक्कर में है रहता।9। ढंग में कितने ढलते हैं। मचल कर आँखें मलते हैं। क्यों नहीं चालाकी छोड़ी। चाल क्यों हमसे चलते हैं।10। किसी कोठे में पैठे हैं। या बहुत ही वे ऐंठे हैं। क्यों नहीं जल बादल देते। फूल मुँह खोले बैठे हैं।11। लगाई क्यों सुन पाते हैं। लाग में क्यों आ जाते हैं। जला कर के औरों का जी। लोग क्यों आग लगाते हैं।12। हिले दिल चोटें खाते हैं। जले दिल, सब जल जाते हैं। खिले दिल आँखें हैं हँसती। फूल मुँह से झड़ पाते हैं।13। खले बातें घबराते हैं। आँख में आँसू आते हैं। जले दिल पानी है मिलता। मले दिल मोती पाते हैं।14। चोट पर चोटें सहते हैं। चैन से कब हम रहते हैं। कलेजा पिघला जाता है। आँख से आँसू बहते हैं।15।

Read Next