आँखों का तारा
फूल मैं लेने आई थी। किसी को देख लुभाई क्यों। हो गया क्या, कैसे कह दूँ। किसी ने आँख मिलाई क्यों।1। फूल कैसे क्या हैं बनते। क्यों उन्हें हँसता पाती हूँ। किसलिए उनकी न्यारी छबि। देख फूली न समाती हूँ।2। ललकती हूँ मैं क्यों इतना। किसलिए जी ललचाया यों। निराली रंगत में कोई। रंग लाता दिखलाया क्यों।3। बहुत ही भीनी भीनी महँक। कहाँ से क्यों आती है चली। किधर वह गया, खोज कर थकी। क्यों नहीं मिलती उसकी गली।4। फूल सब दिन फूले देखे। आज क्यों इतने फूले हैं। भूल में मैं ही पड़ती हूँ। या किसी पर वे भूले हैं।5। हवा इतनी कैसे महँकी। क्या उसी को छू आई है। चली आती है बढ़ती क्यों। क्या सँदेसा कुछ लाई है।6। बरस क्यों गया अनूठा रस। पा गयी कैसे सुख सारा। अचानक हमें मिला कैसे। हमारी आँखों का तारा।7।

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