दिल का दर्द
नहीं दिन को पड़ता है चैन। नहीं काटे कटती है रात। बरसता है आँखों से नीर। सूखता जाता है सब गात।1। आज है कैसा उसका हाल। भरी है उसमें कितनी पीर। दिखाऊँ कैसे उसको आह। कलेजा कैसे डालूँ चीर।2। चित में है वैसी ही चाह। उठे रहते हैं अब भी कान। गये तुम क्यों अपनों को भूल। आ सुना दो मुरली की तान।3। जहाँ थी चहल पहल की धूम। वहाँ अब रहता है सुनसान। कलेजा कौन न लेगा थाम। देख उजड़ा घर स्वर्ग समान।4। कहाँ हैं हरे भरे अब पेड़। नहीं मिलते हैं सुन्दर फूल। कहाँ हो ऐ मेरे घनश्याम। उड़ रही है कुंजों में धूल।5।

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