उठी आँखें
रंग रह सका रंग बदले। बन गयी बात, बात बिगड़े। रहा पानी पानी खो कर। मिटे सारे झगड़े, झगड़े।1। बच गया गला, गला उतरे। खुलीं आँखें, आँखें मूँदे। हाथ के बिना हाथ मारा। बिना पाँवों के ही कूदे।2। बने अंधा सब कुछ देखा। बने बहरा सब सुन पाया। राख मिट्टी हो जाने पर। मिली सोने की सी काया।3। चेत आया अचेत हो कर। चित खो चेतनता आई। राह मिल गयी राह भूले। सब गँवा सारी सिधा पाई।4। सिर कटे हरे हुए पनपे। फले फूले मिट्टी में मिल। जल गये मिली जोत न्यारी। हिले दिल गया फूल सा खिल।5। घर गँवा कर के घर पाया। बने सब के, बंधान टूटे। किसी की लहर बहर में पड़े। मोह की लहरों से छूटे।6। चाँदनी, बिना चाँद निकली। बिना सूरज किरणें फूटीं। हवा में हवा बाँधा अपनी। निराली फुलझड़ियाँ छूटीं।7। अन्धेरें में सूरज निकला। घरों में चाँद उतर आया। जगमगाईं काली रातें। हुई उजली मैली छाया।8। नहीं जो दिखलाई देता। उसे हमने देखा भाला। फेंक कर के सारी कुंजी। खोल पाया सच्चा ताला।9। जी उठे मर जाने पर हम। उठा नीचे गिर कर पारा। बूँद में दरिया दिखलाया। समाया तिल में जग सारा।10।

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