पी कहाँ
श्याम घन में है किसकी झलक। कौन रहता है रस से भरा। लुभा लेती है धरती किसे। दुपट्टा ओढ़ ओढ़ कर हरा।1। बड़ी अंधियारी रातों में। बन बहुत आँखों के प्यारे। बैठ कर खुले झरोखों में। देखते हैं किसको तारे।2। फाड़ कर नीले परदे को। चन्द्रमा की किरणें बाँकी। झाँकती हैं झुक झुक करके। देखने को किसकी झाँकी।3। तोड़ कर सन्नाटा जब तू। बोलता है अपनी बोली। लगन तब किसके माथे पर लगाती है मंगल रोली।4। कौन थल है बतला तू हमें। नहीं वह दिखलाता है जहाँ। पपीहा पागल बन बन बहक। पूछता किससे है 'पी कहाँ'।5।

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