समयगंधा
तुमसे मिलकर ऐसा लगा जैसे कोई पुरानी और प्रिय किताब एकाएक फिर हाथ लग गई हो या फिर पहुंच गया हूं मैं किसी पुराने ग्रंथागार में समय की खुशबू प्राणों में भर गई उतर आया भीतर अतीत का चेहरा बदल गया वर्तमान शायद भविष्य भी।

Read Next