संगाती
नहीं रामचरण नहीं था न मदन था न रामस्वरूप कोई और था उस दिन मेरे साथ जिसने सतपुड़ा के जंगलों में भूख की शिकायत की न प्यास की जिसने न छाँह ताकी न पूछा कितना बाक़ी है अभी ठहरने का ठिकाना और

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