तुम भी देते हो तोल तोल
तुम भी देते हो तोल-तोल! नभ से बजली की वह पछाड़, फिर बूँदें बनना गोल-गोल, नभ-पति की भारी चकाचौंध, उस पर बूँदों का मोल-तोल, बूँदों में विधि के मिला बोल। तुम भी देते हो तोल-तोल! भू पर हरितीमा का उभार, उस पर किसान की काट-छाँट, हिरनों की उसमें रेल-पेल, मर्कट-दल की कविता-कुलाँट, बादल, छवि देते ढोल-ढोल। तुम भी देते हो तोल-तोल! टहनी बाहों-सी झूली हो, हो हवा, किन्तु पथ-भूली हो, चिडियाँ पंखों से झलती हों, आँधियाँ कठोर मचलती हों, मीठे में कड़ुवा घोल-घोल। तुम भी देते हो तोल-तोल!

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