"तू धीर धर हे वीर वर"--उस तीर से मैंने कहा!
"बस छूट पड़ने दो अजी, मुझसे नहीं जाता रहा"।
-जाता रहा, तो काम से ही जान ले जाता रहा,
छूटा कि छूटा, और हो होकर टूक ठुकराता रहा।
मैदान में है सीख तू
बाजी लड़ाना सूर का।
पीछे खिचा भरपूर, बस मारा निशाना दूर का।