ओ साँइयाँ
झील पर अनखिली लम्बी हो गयीं परछाइयाँ गहन तल में कँपी यादों की सुलगती झाँइयाँ आह! ये अविराम अनेक रूप विदाइयाँ इस व्यथा से ओट दे ओ साँइयाँ!

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