क्या करोगे
खोली को तो, चलो सोने से मढ़ लो, पर सुअर तो सुअर रहेगा- उस का क्या करोगे? या फिर उसे भी मार के उस की (सोने की) प्रतिमा गढ़ लो : सजा-सँवार के बिठा दो अन्दर। खोली? अरे, कन्दरा, गुफा-मन्दर! पाँव पूजो औतार के!

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