मेघ एक भटका-सा
रीता घर सूना गलियारा वन की तरु-राजि बिसूर पियूर की हवा की थकी साँस : मेघ एक भटका-सा दो बूँदें टपका जाता है। ऐसे ही टुकड़ों में सहसा गँठ जाते हैं महाकाव्य व्याकुल प्रेत-व्यथा सब-कुछ से सब-कुछ ही बिछुड़न की एक आह हीरक में शिलीभूत!

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