शिशिर का भोर
उतना-सा प्रकाश कि अँधेरा दीखने लगे, उतनी-सी वर्षा कि सन्नाटा सुनाई दे जाए; उतना-सा दर्द याद आए कि भूल गया हूँ, भूल गया हूँ हाइडेलबर्ग

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