खिसक गयी है धूप
पैताने से धीरे-धीरे खिसक गयी है धूप। सिरहाने रखे हैं पीले गुलाब। क्या नहीं तुम्हें भी दिखा इनका जोड़- दर्द तुम में भी उभरा?

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