कल दिखी आग
दीखने को तो कल दिखी थी आग पर क्या जाने उस के करने थे फेरे या उस में झोंकना था सुहाग! चिह्न तो सब दिखाता है पर दुजिब्भा है विधाता- उस का लिखा पढ़ा तो सब जाता है पर समझ में कुछ नहीं आता। -और सपना सुन बताता है सयाना जजमान हैं बड़भाग जिसे कल दिखी थी आग...

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