कहने की बातें
सुनो! कुछ बातें ऐसी हैं जो कहने की नहीं हैं क्यों कि वास्तव में कहने की तो वही हैं पर कहना उन्हें इतिहास में बाँधना है जो अतीत में है जब कि बातें वे बीतती नहीं हैं : जब कि कहना ही बीत जाता है सहना भर रह जाता है और समय का सोता रीत जाता है।

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