आतंक
ऊपर साँय-साँय बाहर कुछ सरक रहा दबे पाँव : अन्धकार में आँखों के अँगारे वह हिले- वहाँ-क्या उतरा वह? रोंए सिहर रहे, ठिठुरा तन : भीतर कहीं धुकधुकी-वह-वह-क्सा पसरा वह? बढ़ता धीरे-धीरे पथराया मन साँस रुकी-हौसला दरक रहा : वे आते होंगे- ले जाएँगे... कुछ-क्या-कोई-किसे-कौन?...

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