तुम तक
तुम तक कहीं मेरा स्वर पहुँच जाय अचानक तुम एक कहीं तुम पकड़ जाओ औचक- कहीं बात झर जाय मगर कहाँ! क्यों व्यर्थ हृदय यों मर जाय!

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