शरद तो आया
हाँ, शरद आया ऊपर खुली नीली झील- तिरते बादलों के पाल। हरे हरसिंगार। तिनकों से ढले दो-चार ओस-आँसू-कन। खिली उजली धूप नीचे सिहर आया ताल। शरद तो आया : मदिर आलोक फल लाया : नहीं पर इस बार दीखे हृदय-रंजन युगल खंजन!

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