शरद विलायती
आया है शरद विलायती क्या बना है! रंगीन फतुही काली जुर्राबें, हवा में खुनकी मिज़ाज में तुनकी दिल में चाहे जाती धूप की कसक पर चाल में विजेता की ठसक हम जान गये यह सब सुनहली शराबें पीने का बहाना है! फिर भी मियाँ शरद, हम तुम्हें मान गये!

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