संभावनाएँ
अब आप ही सोचिए कितनी सम्भावनाएँ हैं -कि मैं आप पर हँसूँ और आप मुझे पागल करार दे दें; -या कि आप मुझ पर हँसें और आप ही मुझे पागल करार दे दें; -या आप को कोई बताये कि मुझे पागल करार दिया गया और आप केवल हँस दें... -याकि हँसी की बात जाने दीजिए मैं गाली दूँ और आप- लेकिन बात दोहराने से लाभ? आप समझ तो गये न कि मैं कहना क्या चाहता हूँ? क्यों कि पागल न तो आप हैं न मैं; बात केवल करार दिये जाने की है- या, हाँ, कभी गिरफ़्तार किये जाने की है। तो क्या किया जाए? हाँ, हँसा तो जाए- हँसना कब-कब नसीब होता है? पर कौन पहले हँसे? किबला, आप! किबला, आप!

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