जड़ें
पेड़ के तने में घाव करके उसमें खपच्ची लगा गये हैं वे कि बूँद बूँद रिसता रहे घाव उन्हें चाहिए लीसा। और मेरी छाती के घाव में भी लगी हैं खपच्चियाँ नीचे बँधा है उनका कसोरा। पेड़ की, मगर, जड़ें हैं गहरी वह मिट्टी से रस खींचता है। और मेरी जड़ों को पोषण की अपेक्षा है उन्हीं से जिन्हें अपने कसोरे में मेरा लहू चाहिए।

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