उँगलियाँ बुनती हैं
उँगलियाँ बुनती हैं लगातार रंग-बिरंगे ऊनों से हाथ, पैर, छातियाँ, पेट दौड़ते हुए घुटने, मटकते हुए कूल्हे : उँगलियाँ बुनती हैं काले डोरे से चकत्ता दिल का- सफ़ेद, सफ़ेद धागे से आँखों के सूने पपोटे। उँगलियाँ बुनती हैं लगातार बेलाग भूखें, प्यासें, हरकतें, कार्रवाइयाँ, हंगामे, नामकरण, शादियाँ-सगाइयाँ आयोजन, उत्सव-समारोह, खटराग कारनामे। उँगलियाँ बुनती हैं सिर्फ घुटे हुए दिल, सिर्फ़ मरी हुई आँखें। उँगलियाँ बुनती हैं...

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