उन्होंने घर बनाये
उन्होंने घर बनाये और आगे बढ़ गये जहाँ वे और घर बनाएँगे। हम ने वे घर बसाये और उन्हीं में जम गये : वहीं नस्ल बढ़ाएँगे और मर जाएँगे। इस से आगे कहानी किधर चलेगी? खँडहरों पर क्या वे झंडे फहराएँगे या कुदाल चलाएँगे, या मिट्टी पर हमीं प्रेत बन मँडराएँगे जब कि वे उस का गारा सान साँचों में नयी ईंटें जमाएँगे? एक बिन्दु तक कहानी हम बनाते हैं। जिस से आगे कहानी हमें बनाती है : उस बिन्दु की सही पहचान क्या हमें आती है?

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