क्योंकर मुझे भुलाओगे
दीप बुझेगा पर दीपक की स्मृति को कहाँ बुझाओगे? तारें वीणा की टूटेंगी-लय को कहाँ दबाओगे? फूल कुचल दोगे तो भी सौरभ को कहाँ छिपाओगे? मैं तो चली चली, पर अब तुम क्योंकर मुझे भुलाओगे? तारागण के कम्पन में तुम मेरे आँसू देखोगे, सलिला की कलकल ध्वनि में तुम मेरा रोना लेखोगे। पुष्पों में, परिमल समीर में व्याप्त मुझी को पाओगे, मैं तो चली चली, पर प्रियवर! क्योंकर मुझे भुलाओगे?

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