खद्योत दर्शन
चाँद तो थक गया, गगन भी बादलों से ढक गया बन तो बनैला है-अभी क्या ठिकाना कितनी दूर तक फैला है! अन्धकार। घनसार। अरे पर देखो तो वो पत्तियों में जुगनू टिमक गया!

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