काँगड़े की छोरियाँ
काँगड़े की छोरियाँ कुछ भोरियाँ सब गोरियाँ लाला जी, जेवर बनवा दो खाली करो तिजोरियाँ! काँगड़े की छोरियाँ! ज्वार-मका की क्यारियाँ हरियाँ-भरियाँ प्यारियाँ धन-खेतों में प्रहर हवा की सुना रही है लोरियाँ- काँगड़े की छोरियाँ! पुतलियाँ चंचल कालियाँ कानों झुमके-बालियाँ हम चौड़े में खड़े लुट गये बनी न हम से चोरियाँ- काँगड़े की छोरियाँ! काँगड़े की छोरियाँ कुछ भोरियाँ सब गोरियाँ।

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