छंद है यह फूल
छन्द है यह फूल, पत्ती प्रास। सभी कुछ में है नियम की साँस। कौन-सा वह अर्थ जिसकी अलंकृति कर नहीं सकती यही पैरों तले की घास? समर्पण लय, कर्म है संगीत टेक करुणा-सजग मानव-प्रीति। यति न खोजो-अहं ही यति है!-स्वयं रणरणित होते रहो, मेरे मीत!

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