Poets
Poetry
Books
Log in
Poets
Poetry
Books
Poetry
/
बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु
बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु
Nirala
#
Hindi
बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु! पूछेगा सारा गाँव, बंधु! यह घाट वही जिस पर हँसकर, वह कभी नहाती थी धँसकर, आँखें रह जाती थीं फँसकर, कँपते थे दोनों पाँव बंधु! वह हँसी बहुत कुछ कहती थी, फिर भी अपने में रहती थी, सबकी सुनती थी, सहती थी, देती थी सबके दाँव, बंधु!
Share
Read later
Copy
Last edited by
Chhotaladka
September 02, 2016
Added by
Chhotaladka
June 19, 2016
Similar item:
www.kavitakosh.org
Views:
12,234,002
Feedback
Read Next
Loading suggestions...
Show more
Cancel
Log in