वसंत की बदली
यह वसन्त की बदली पर क्या जाने कहीं बरस ही जाय? विरस ठूँठ में कहीं प्यार की कोंपल एक सरस ही जाय? दूर-दूर, भूली ऊषा की सोयी किरण एक अलसानी- उस की चितवन की हलकी-सी सिहरन मुझे परस ही जाय?

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